Home सम्पादकीय / विचार प्रखर राष्ट्रभक्त डॉक्टर भीमराव अंबेडकर

प्रखर राष्ट्रभक्त डॉक्टर भीमराव अंबेडकर

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राजेश खांडेकर
प्रखर देशभक्त सामाजिक समता व समरसता की लड़ाई लडऩे वाले आदरणीय बाबा साहब का जीवन अति व त्यागमय कर्म मय रहा है अति साधारण परिवार में जन्म होने पर भी उसमें हतप्रभ ना होकर केवल अपनी इच्छाशक्ति के सहारे उन्होंने अपनी संपूर्ण श्रेष्ठता अर्जित की घोर सामाजिक आर्थिक अन्याय के काल में उन्हें जैसी अन्याय शक्तियों का सामना करना पड़ा वह इतनी भीषण थी कि यदि कोई और साधारण व्यक्ति होता तो उसकी कमर ही टूट गई होती परंतु वे बाबा साहब ही थे कि अपने से कई गुना बलवान शक्ति प्रवाहो के विरुद्ध ना केवल डटकर खड़े हुए अपितु उनके विरुद्ध विद्रोह का झंडा उठाकर उन प्रवाह की दिशा मोडऩे में भी पर्याप्त मात्रा में सफलता प्राप्त की।
बाबा साहब कई गुणों से युक्त थे प्रखर बुद्धि वादी ता के साथ साथ अत्यंत करुणा भाव भी उनके अंदर था प्रखर बुद्धि वाद के सहारे ही उन्होंने तत्कालीन प्रचलित समस्त मत मत अंतरों का विश्लेषण कर अपनी दृष्टि में श्रेयष्कर एवं संशोधित मार्ग ही अपने अनुयायियों के सामने रखा। अपने अनुयायियों से अत्यधिक ऊंचे होने पर भी वे उनसे अलग नहीं दिखते थे उन पर होने वाले अन्याय अत्याचार से ही दृवित होकर बाबा साहब हिंदुओं के साथ-साथ संपूर्ण जनमानस में उन्होंने उनके प्रति चिर उत्पन्न कर दी।
डॉक्टर बाबा साहब बचपन से ही बुद्ध की ओर आकृष्ट थे भगवान बुद्ध के मार्ग पर चलने में उन्हें शांति का अनुभव हुआ। बौद्ध दीक्षित होने में उनका एक और विचार था विश्व के मानचित्र पर यदि हम दृष्टि डालें तो एक बात ध्यान में आएगी कि दक्षिण पूर्वी एशिया की देशों में बहुत बड़ी संख्या में बौद्ध रहते हैं बौद्ध मतावलबी होने के कारण वे देश स्वभावत: भारत की ओर नेतृत्व के लिए देखते हैं। इन देशों में भारत के साथ प्रकार धार्मिक सांस्कृतिक संबंध स्थापित होकर उसके नेतृत्व में विश्व में एक नई शक्ति का उदय होगा इसका नेतृत्व भारत करेगा यह उनका सपना था जो उनके प्रखर राष्ट्रभक्ति को दर्शाता है की बौद्ध मत में दीक्षित होने के बाद भी भारत देश की प्रति उनकी निष्ठा अपार थी
अगर हम बाबा साहब अंबेडकर का संक्षिप्त जीवन परिचय देखें देखे तो अंबेडकर के पूर्वज कोकण प्रदेश के थे महार जाति में गण्यता. प्राप्त घराना था उनका महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में उनका स्थान था भीमराव जी के पितामह मालू जी सेना में सूबेदार थे भीमराव के पिता राम जी सैनिक स्कूल में अध्यापक थे भीमराव की माता भीमाबाई ठाणे जिले के 1 अमीर सूबेदार घराने की थी लेकिन राम जी अपनी देव भक्ति के कारण जनप्रिय थे उनके घर में सदैव महाभारत रामायण और मराठी संतों के अभंगो का गायन सुना जाता था इस प्रकार सुसंस्कृत वातावरण रामजी परिवार का था राम जी और भीमाबाई के चौद्हवे पुत्र भीमराव का जन्म 14 अप्रैल 1891 के दिन महू मध्यप्रदेश में हुआ था। सतारा में प्राथमिक शाला की शिक्षा समाप्त करके हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए भीमराव गोरेगांव के उन दिनों अपनी जाति के कारण उन्हें कुछ अप्रिय घटनाओं का सामना करना पड़ा इस प्रकार सामाजिक असमानता ओं के विरुद्ध लडऩे की वृत्ति तभी से जड़ पकड़ती गई। भीमराव की हाई स्कूल शिक्षा मुंबई के एलिफन्स्टन हाई स्कूल में हुई 1907 में उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास की 1912 मैं उन्होंने बीए की उपाधि प्राप्त की1913 के जुलाई बाबा भीमराव अंबेडकर अमेरिका पहुंचे और एमए की पढ़ाई के लिए उन्होंने राज्यशास्त्र नीतिशास्त्र मानव शास्त्र अर्थशास्त्र समाजशास्त्र विषय चुने 1915 में उन्होंने एमए की उपाधि प्राप्त की।
1916 के जून मास में अंबेडकर जी ने इंग्लैंड जाकर वहां के विश्व प्रसिद्ध लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र तथा विधिशास्त्र का अध्ययन प्रारंभ किया। अमेरिका से पीएचडी और लंदन से डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि अर्जित कर बैरिस्टर अंबेडकर अपनी मातृभूमि में वापस आए 1932 के जून में सरकार से मान्यता प्राप्त कर मुंबई में वकालत प्रारंभ की उस समय समूचे देश में बाबा साहब अंबेडकर जैसी योग्यता पांडित्य प्राप्त लोगों की संख्या बहुत कम थी बाबा साहब के विचारों के मूल में शुद्ध भारतीयता थी धर्म ही उनकी नीव में थी उनका आग्रह इतना ही था कि धर्म स धर्म हो अधर्म ना रहे भगवान बुद्ध महात्मा कबीर महात्मा ज्योतिबा फुले यही उनके गुरु थे विद्या विनय शील ही उनके आराध्य देव थे ऐसे महापुरुष हमारे बीच पैदा हुए यह हम सब के लिए अत्यंत ही सौभाग्य की बात है।

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