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लॉकडाउन के बाद तेजी से बढ़ रही संक्रमितों की संख्या

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मौत के आंकड़े भी डरावने, अस्पतालों में आक्सीजन, रेमडीशिविर इंजेक्शन और दवाईयों का टोंटा, प्रशासन के सिस्टम पर कई सवाल

राजनांदगांव (दावा)। कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप पर लगाम लगाने जिला प्रशासन द्वारा जिले मेें 10 से 19 अप्रैल तक सख्त लॉकडाऊन लगाया गया है। लॉकडाउन लगने के बाद से शहर सहित जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या और लगातार बड़ रही है। वहीं मौत के आंकड़े भी बेकाबू स्तर पर है। गौरतलब है कि लॉकडाउन के बाद से जिले में रोजाना एक हजार से 1400 के आस-पास कोरोना संक्रमितों की पुष्टि हो रही है। वहीं रोजाना 10 से अधिक लोगों की मौत का मामला सामने आ रहा है। कोरोना से मौत के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह सरकारी आंकड़े है। जो मेडिकल कॉलेज अस्पताल व सरकारी अस्पातल में भर्ती मरीजों के है। जबकि प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों की भी रोजाना मौत हो रही है। इसका आंकड़ा दर्ज नहीं हो रहा है।
आक्सीजन व दवाई नहीं मिलने से हो रही है मौतें
कोरोना की दूसरी लहर बहुत ही खतरनाक साबित हो रहा है। यह वायरस सीधे लोगों के फेफड़ों में अटैक कर रही है। वायरस किसी भी उम्र के लोगों को अपने कब्जे में ले रही है। वायरस के चपेट में आने वाले मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। ऐसे मरीजों को आक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन और वेंटिलेटर की जरुरत है, लेकिन मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित जिले के चयनीत कोविड 19 अस्पतालों में आक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन और वेटिंलेटर नहीं होने से पीडि़त मरीजों की मौत हो रही है। बुधवार को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आक्सीजन नहीं मिलने से एक मरीज की मौत होुई थी। वहीं डोंगरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थित कोविड सेंटर में भी आक्सीजन नहीं मिलने से दो सगी बहनों की भी मौत होने की जानकारी सामने आई है।
संक्रमितों के संपर्क में आने वालों के सेंपल में देरी
कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में हजारों लोग आ चुके हैं। रोज एक हजार से ज्यादा संक्रमितों की पहचान हो रही है। स्वास्थ्य विभाग कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं कर पा रहा है। स्थिति यह है कि संक्रमित मरीज की कॉन्टैक्ट हिस्ट्री जानने के बाद संपर्क में आए लोगों की सैंपलिंग तीन से चार दिन के बाद हो पा रही है। इससे संक्रमण बढ़ रहा है। संक्रमित के संपर्क में आए लोग समय पर चिन्हांकित नहीं हो रहे हैं और दूसरे लोगों को संपर्क में लेकर संक्रमित कर रहे हैं। मरीज से दो से तीन दिन के बाद संपर्क कर रहे हैं जब तक मरीज की स्थिति गंभीर हो जा रही है या फिर रेफर करने की नौबत आ रही है।

फैक्ट्री में आक्सीजन, लेकिन सिलेंडर की कमी

शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आक्सीजन की कमी न हो इसके लिए प्लांट लगाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार इस प्लांट से रोजाना 200 आक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई हो सकती है, लेकिन सिलेंडर की कमी की वजह से यहां 170 सिलेंडर ही सप्लाई हो रही है। वहीं जिला प्रशासन द्वारा सोमनी स्थित तिवारी प्लांट से भी आक्सीन की सप्लाई अस्पतालों में की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस फैक्ट्री में भी सिलेंडर की कमी होने से पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पा रही है। शासन-प्रशासन को चाहिए कि इन प्लाटों में सिलेंडर की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराकर जरुरत वाले अस्पतालों में आक्सीजन की सप्लाई कराने गंभीरता दिखाई जाए।

संक्रमितों के परिजन रुपए के लिए भटक रहे

लॉकडाऊन के दौरान इस बार बैंकों को भी बंद रखा गया है। ऐसे में जरुरतमंद लोगों को रुपए के लिए भटकना पड़ रहा है। बैंक प्रबंधकों द्वारा लॉकडाऊन के दौरान एटीएम में पर्याप्त रकम डालने का दावा किया गया था, लेकिन अधिकांश एटीएम में कैश खत्म हो गया है। ऐसे में कोरोना संक्रमित हो रहे मरीजों के परिजनों को अस्पताल व दवाईयों के खर्च के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन इस संकट के दौर में कम से कम बैंक को खुले रखने पर विचार करें तो जरुरतमंद लोगों को रुपए मिल जाएगी और समय रहते दवाईयों की व अस्पताल का खर्च उठाने रकम हाथ में आने से मरीजों की जान भी बच जाएगी।

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