नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामलों और बिगड़ते हालात को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड और जरूरी दवाओं की किल्लत को देखते हुए नोटिस लिया है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने गुरुवार को कहा कि हालात डरावने हैं। केंद्र सरकार 4 मुद्दों पर नेशनल प्लान दे। इस मामले में अब 23 अप्रैल को सुनवाई होगी।
इस बीच, इसी मामले पर सुनवाई कर रही दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकार को निर्देश दिए हैं। सुको ने कहा कि केंद्र को अपने आदेशों का सख्ती से पालन करवाना चाहिए। सरकार अगर चाहे तो धरती-आसमान एक कर सकती है।
गिड़गिड़ाइए, उधार लीजिए या चुराइए, लेकिन ऑक्सीजन लेकर आइए- दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार 21 अप्रैल को केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने केंद्र को इंडस्ट्रीज की ऑक्सीजन सप्लाई फौरन रोकने का निर्देश दिया है। कोर्ट मैक्स अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन पर पहला हक मरीजों का है। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की बेंच ने कहा कि मरीजों के लिए अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में सरकार इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है? आप गिड़गिड़ाइए, उधार लीजिए या चुराइए, लेकिन ऑक्सीजन लेकर आइए, हम मरीजों को मरते नहीं देख सकते।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया लॉकडाउन का आदेश
उत्तरप्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के सबसे ज्यादा कोविड-19 प्रभावित पांच शहर प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर और गोरखपुर में आगामी 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने इसे मानने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा-गाइडलाइन जारी करके खुद बच नहीं सकते
कोरोना की महामारी के बीच चुनावी प्रचार-प्रसार में कोविड के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं। ऐसे में कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक बार फिर से सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कहा कि केवल गाइडलाइन जारी करने से वह अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते। कोर्ट ने चुनावी सभाओं, रैलियों के इंतजाम को लेकर आयोग से कहा कि वह इस बात को सुनिश्चत करे कि पूरे राज्य में कोविड-19 के नियमों का पालन हो।
6 हाईकोर्ट में सुनवाई से कन्फ्यूजन हो सकता है – सुप्रीम कोर्ट
सीजेआई एसए बोबडे की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि इस वक्त कोरोना और ऑक्सीजन जैसे मुद्दों पर छह अलग-अलग हाईकोर्ट यानी दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, मध्यप्रदेश, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इससे कन्फ्यूजन पैदा हो सकता है।’ बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस मुद्दे पर नेशनल प्लान बताएं। हाईकोर्ट्स को भी इस बारे में बताएं। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 4 मुद्दों पर गौर कर रही है- ऑक्सीजन की सप्लाई, जरूरी दवाओं की सप्लाई, वैक्सीनेशन का तरीका, लॉकडाउन लगाने का राज्यों का अधिकार। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास रहे, यह ज्यूडिशियल फैसला नहीं होना चाहिए। फिर भी हम लॉकडाउन लगाने के हाईकोर्ट के न्यायिक अधिकारों पर गौर करेंगे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, हम इस बुरे समाज का हिस्सा होने पर शर्मिंदा हैं
महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की कमी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नोटिस लिया है। कोर्ट की नागपुर बेंच ने सोमवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि राज्यों को यह इंजेक्शन किस आधार पर बांटा जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में देश के 40 प्रतिशत कोरोना मरीज हैं तो उन्हें रेमडेसिविर भी उसी हिसाब से दिए जाने चाहिए। हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जिलों को मनमाने तरीके से रेमडेसिविर का बंटवारा किया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने 13 अप्रैल और 18 अप्रैल को नागपुर में रेमडेसिविर की एक भी वायल (शीशी) क्यों नहीं भेजी? अदालत ने राज्य (शेष पृष्ठ ६ पर…)