पांच किलो नि:शुल्क राशन देने के नाम पर झूठी वाहवाही
राजनांदगांव(दावा)। राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हफीज खान ने केन्द्र सरकार पर कोरोना संक्रमण काल में पांच किलो मुफ्त राशन देने के नाम पर हितग्राहियों से भेदभाव करने और झूठी वाहवाही लूटने का आरोप लगाया है। श्री खान ने जारी बयान में कहा कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण और लाकडाउन के बाद उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा गरीबों को दो माह मई और जून का राशन पांच किलो नि:शुल्क देने का ढिंढोरा पीटकर अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा पत्र जारी कर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत जारी अंत्योदय एवं प्राथमिकता समूह के राशन कार्डों पर मई एवं जून 2021 में पांच किलो प्रतिमाह प्रति सदस्य नि:शुल्क अतिरिक्त खाद्यान्न का आबंटन जारी किया गया है। इसके परिपालन में संचालनालय खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण नवा रायपुर द्वारा प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को छह मई को पत्र जारी किया गया है। पत्र के अनुसार संचालनालय द्वारा विभाग से प्राप्त निर्देशानुसार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एवं छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत जारी समस्त अंत्योदय, अन्नपूर्णा, एकल निराश्रित एवं नि:शक्तजन राशन कार्डों हेतु मई एवं जून 2021 के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न का आबंटन जारी कर दिया गया है।
अंत्योदय व प्राथमिकता वाले राशन कार्डधारियों से भेदभाव
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा जारी पत्र के अनुसार अंत्योदय निराश्रित वर्ग हितग्राहियों को सामान्य तौर पर राज्य सरकार द्वारा दो माह में 70 किलो राशन दिया जा रहा है। चाहे अंत्योदय कार्ड वाले के घर में एक सदस्य हों या पांच सदस्य, किंतु केन्द्र सरकार द्वारा जारी पत्र के अनुसार अंत्योदय कार्ड वाले हितग्राहियों में एक सदस्य वाले राशन कार्ड में 10 किलो, दो सदस्य वाले को 20 किलो, तीन सदस्य वाले को 30 किलो, चार सदस्य वाले को 40 किलो और पांच सदस्य वाले को 50 किलो अतिरिक्त यानि प्रतिमाह प्रति सदस्य पांच किलो राशन दिया जाएगा।
श्री खान ने कहा कि अंत्योदय वर्ग में हितग्राहियों की संख्या बहुत कम और प्राथमिकता वाले राशन कार्डधारियों (बीपीएल) की संख्या बहुत अधिक है। इसके बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा गलत निर्णय लेकर बीपीएल वर्ग के ऐसे कार्डधारियों को इस लाभ से वंचित रखा जा रहा है, जिनके यहां एक, दो या तीन सदस्य हैं। यानि बीपीएल कार्डधारियों के यहां यदि एक, दो या तीन सदस्य हैं, तो ऐसे लोगो को केन्द्र द्वारा मई व जून के लिए जारी अतिरिक्त राशन आबंटन का लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए बताया कि प्राथमिकता (बीपीएल) वाले राशन कार्डधारी यदि एक, दो या तीन सदस्य वाले हैं, तो उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा मई व जून हेतु जारी अतिरिक्त आबंटन का लाभ नहीं मिलेगा। पत्र के अनुसार चार सदस्य वाले राशन कार्ड में 10 किलो, पांच सदस्य वाले राशन कार्ड में 30 किलो और छह सदस्य वाले राशन कार्ड में 36 किलो अतिरिक्त राशन दिया जाएगा। इस तरह प्रत्येक सदस्य को औसतन ढाई से तीन किलो राशन ही केन्द्र सरकार द्वारा अतिरिक्त दिया जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के प्राथमिकता वाले राशन कार्डधारियों जैसे एक सदस्य वाले को 10 किलो प्रतिमाह, दो सदस्य वाले को 20 किलो, तीन, चार व पांच सदस्य वाले को 35 किलो और छह सदस्य वाले को 42 किलो राशन प्रतिमाह देती आ रही है। इसी तरह अंत्योदय कार्डधारियों को एक समान रूप से एक से पांच सदस्य वालों को प्रतिमाह 35-35 किलो राशन देती आ रही है, किंतु मोदी सरकार हितग्राहियों से भेदभाव कर ऊंट के मुंह में जीरा के समान राशन देकर झूठा श्रेय ले रही है।
आंकड़ों का खेल, खेल रही मोदी सरकार
वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री खान ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार शुरू से ही देश के लोगों का गुमराह करने का काम करती आ रही है। ऐसा प्रचाारित किया जा रहा कि मोदी सरकार को कोरोना संकट काल में उन्हें गरीब और अति गरीब वर्ग के लोगों की बहुत चिंता है और उनकी हितैषी है, किंतु गरीबों को भी राशन देने में खुले रूप से भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल कोरोना संकट काल में लाकडाउन के बाद मोदी सरकार द्वारा लोगों को राहत पहुंचाने के लिए 20 लाख करोड़ रूपए के पैकेज का ऐलान किया गया था, किंतु देश के एक भी आदमी को उस पैकेज से फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। लोगों को आंकड़ों के खेल मेें उलझाकर रखना मोदी सरकार की पहचान बन चुकी है। मोदी की भाजपा सरकार यदि सही मायने में गरीबों की हितैषी है तो कांग्रेस द्वारा बनाई गई न्याय योजना को अपना नाम देकर देश के गरीब वर्ग के लोगों को प्रति माह छह हजार रूपए देने की शुरूआत करे, क्योंकि पिछले सात सालों में देश 50 साल पीछे जा चुका है। लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। लोगों के जीने-खाने के सारे साधन और रोजी-रोजगार खत्म हो चुके हैं। मोदी सरकार की तमाम कारगुजारियों को देश की जनता देख रही है। अच्छे दिनों का झांसा देकर सत्ता हथियाने के बाद देश की संपत्तियों को बेचने वाली भाजपा सरकार को देश की जनता आगामी चुनाव में वैसे ही सबक सिखाने को आतुर है, जो हश्र पश्चिम बंगाल में भाजपा का हुआ।