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बेघरों ने फ्लाई ओवर के नीचे ही बना लिया आशियाना

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सरकार की योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ

राजनांदगांव(दावा)। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा बेघरबार व गरीब परिवारों को आशियाना देने सहित कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है। ताकि गरीब तबके के लोगों को छत व दो वक्त की रोटी नसीब हो सके। इसके लिए सरकारों द्वारा करोड़ों रुपए जारी किया जाता है, लेकिन सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्ट्राचार की वजह से जरुरतमंद लोगों तक योजनाएं नहीं पहुंचती। सिस्टम में बैठे अधिकारी योजनाओं के रुपए को हजम कर जाते हैं। ऐसा ही नजारा शहर में देखने को मिल रहा है।
शहर के प्लाई ओवर के नीचे करीब दर्जनभर परिवार बिना आशियाना के जीवन यापन करने मजबूर हैं। ये लोग ऐसे है जो भीख मांग कर और कूड़ा- कचरा और कबाड़ का समान बिन कर अपना जीवन यापन चलाते हैं। ऐसे ही लोगों के लिए राज्य व केन्द्र सरकारों द्वारा पीएम आवास योजना से लेकर आईएचएसडीपी योजना सहित अन्य योजना लागू की गई है। इन योजनाओं के तहत बेखरबार, मलिन बस्ती में निवासरत और झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों को सस्ता व अच्छा आवास देना है, लेकिन असल जरुरतमंदों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। इससे सवाल उठता है कि आखिर इन गरीबों के लिए सरकार द्वारा जारी राशि आखिर जाता कहां है। मिली जानकारी के अनुसार गरीबों के इन योजनाओं पर सरकारी तंत्र में बैंठे अधिकारी अपना उल्लू सीधा करते हैं और जरुरतमंदों तक योजना नहीं पहुंच पाता।
गरीबों के आशियानों पर रसूखदारों का कब्जा
शहर में गरीब व बेखरबार लोगों के लिए कई जगहों पर अटल आवास, पीएम आवास, आईएचएसडीपी योजना के तहत हजारों घर बनाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार इन अधिकांश आवासों पर नेताओं और योजनाओं से जुड़े अधिकारियों के करीबी रसूखदारों का कब्जा है। वहीं निगम व जिला प्रशासन द्वारा अब तक जरुरमंद वाजिब हकदार लोगों की पहचान ही नहीं की गई है। इसकी वजह से जरुरमंद लोग अब भी प्लाई ओवर के नीचे व अन्य जगहों पर नरकीय जीवन जीने मजबू हैं। शासन-प्रशासन को ऐसे लोगों की पहचान कर उनके लिए लाए गए योजनाओं का लाभ दिलाने की जरुरत है।
लंबे समय से प्लाई ओवर के नीचे बीता रहे जीवन
शहर के बीचोंबीच फ्लाई ओवर (ब्रिज) के नीचे विगत 5-7 वर्षो से करीब 15 से 20 परिवार निवासरत है, जिसमे कुछेक परिवारों को शहर के अलग-अलग स्थानों में निगम प्रशासन द्वारा बनाये गए अटल आवास में मकान भी दिलवाए गए है, लेकिन निगम प्रशासन इन परिवारों को व्यवस्थापन नही दे पाया। ब्रिज के नीचे रह रहे कुछ लोगों को निराश्रित पेंशन पिछले 2 सालों से नही मिला है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नही है। ब्रिज के नीचे रह रहे लोगों में वृद्ध पुरुष- महिलाओं के साथ छोटे- छोटे बच्चे भी रह रहे है।

बच्चे हो रहे कुपोषण का शिकार, प्रशासन बेखबर
शासन-प्रशासन इस तरह के परिवारों के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन सम्बंधित विभाग में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी अपनी योग्यता को निखारते हुए सारी योजनाओं को कागजों में दर्शाकर पूरा मद जो इन परिवारों तक पहुंचना चाहिए वह मद इन अधिकारियों और कर्मचारियों के आलीशान मकानों की साज-सज्जा में खर्च होते है। ये तमाम परिवार भीख मांगकर तो कोई कबाड़ी सामान बिनकर अपना जीवन यापन चला रहे है। मिली जानकारी के अनुसार बिना आशियाना के गंदगी में जीवन यापन कर रहे गरीबों के बच्चे कुपोषित भी हो रहे हैं, लेकिन सरकारी तंत्र में बैठे नेता व अधिकारियों के ऐसे लोगों के बच्चों की कोई चिंता नहीं है। सरकारें तो गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन मॉनिटरिंग नहीं होने से ऐसे लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

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