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क्या लाकडाउन 4 भी आयेगा?

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देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। तभी एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि जून के महिने में कोरोना वाइरस के मामले और ज्यादा बढ़ेंगे। गुलेरिया ने कहा है कि जिस तरीके से ट्रेन्ड दिख रहा है, उस पर से कह सकते है कि कोरोना के केस जून में चरम सीमा पर होंगे। वर्तमान में लाकडाउन-तीन देश भर में लागू है, जो 17 मई तक चलेगा। विभिन्न राज्य सरकारों ने अपने राज्य के कोरोना संक्रमित के हालात के मद्देनजर जिलों को रेड, आरेंज व ग्रीन में बांट कर लाकडाउन में छूटछाट दी है। विभिन्न राज्यों में सरकारों ने शराब के व्यापार के जरिए राजस्व वृद्धि में ध्यान केन्द्रित किया हुआ है। फलस्वरूप, मदिरा प्रेमियों का हुजूम शराब दुकानों में ऐसा उमड़ रहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही है।
दूसरी ओर हमारे कोरोना योद्धा चिकित्सकों की टीमें कोरोना महामारी के सामने लड़ रही है। सरहदों पर हमारे सुरक्षा दलों के जवान आतंकवादियों के सामने लड़ रहे हैं और शहीद भी हो रहे हैं। किन्तु, इसे विडम्बना ही कहें कि हमारे राजकीय नेताओं के पास ‘‘श्रद्धांजलि’’ के शब्द नहीं हैं। न ही उनकी आंखो में आंसु की एक बूंद है।
17 मई के बाद क्या होगा? क्या लाकडाउन को और लम्बा किया जाएगा? स्वाभाविक रूप से लोगोंं के जेहन में यह प्रश्न भी उठ रहा है। संभावना तो यही है कि सरकार लाकडाउन को और लम्बा नहीं करेगी। फिर भी, चिन्तको का चिन्तन कह रहा है कि आगामी दो माहों में कोरोना महामारी से त्रासदी और बढ़ेगी। आई.सी.एम.आर. का कहना है कि लाकडाउन के कारण कोरोना की गति कम होगी। किन्तु, मरीजों की संख्या तो बढ़ेगी। लाकडाउन के कारण कोरोना संक्रमण शीर्ष स्थान में पहुंचने के लिए 200 दिन लगेंगे। किन्तु, लाकडाउन के बगैर यह लेवल 150 दिन में पहुंचेगा। वर्तमान में सरकार ने रमजान के दिनों के मद्देनजर दुकानों को खोलने की छूट दी है। किन्तु, उससे संक्रमण के बढऩे की पूरी संभावना है। आई.सी.एम. आर. तो लाकडाउन बढ़ाने के पक्ष में है।
आज घर-परिवार, समाज में कोरोना वाइरस खतरनाक है। यह ऐसा घर कर गया है कि किसी सदस्य को सामान्य खांसी, सर्दी है और उसे एक छींक भी आती है तो अन्य लोग उसे सबसे अलग कर देते हैं। उसे विचित्र नजरों से देखने लगते हैं। नि:संदेह कोरोना वाइरस खतरनाक है। उससे डरना चाहिए। किन्तु सोशल डिस्टेंसिंग, फीजिकल डिस्टेसिंग का पालन करें, बाहर निकलते वक्त मास्क लगाए, इतना करें तो कोरोना से डरने का कोई कारण नहीं है। परन्तु, कोरोना वाइरस का डर इतना कातिल है कि लोगों की हालत बगैर कोरोना के भी कोरोना वाइरस जैसी हो गई है। वर्तमान में देश में कोरोना महामारी की मार सबसे अधिक मुंबई-महाराष्ट्र में पड़ी है। महाराष्ट्र राज्य के 36 में से 34 जिले कोरोना की चपेट में हैं। मुंबई, थाणे, पुणे, शोलापुर, नासिक, नागपुर और औंरगाबाद की केन्द्र सरकार भी चिन्ता कर रही है। गुजरात के अमदाबाद में जैसा लाकडाउन हुआ है, वैसी स्थिति मुंबई की भी हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्रंटलाईन में द्वय केन्द्रीय मंत्रियों परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सरकारी योद्धा हैं। गडकरी सडक़ों के विकास में किस प्रकार कितनी छूटछाट देनी है? इसका आयोजन कर रहे हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में जो लोग 24 घण्टे जागते-सोते दौड़धूप करते हैं, वे अब सर्वाधिक बोरियत महसूस कर रहे हैं। कमोवेश यही स्थिति देश के अनेक शहरों के नागरिकों की है। किन्तु करें क्या? घरों में बंदी वास्तव में गांव, शहर व देश के बचाव के लिए है। यहां ‘‘जान है जहां है’’ वाली बात है। चाहे जिस कीमत पर कोरोना संक्रमण का फैलाव न हो, मृत्यु का आंकड़ा कम हो, इसके प्रयास हो रहे हैं। फिलहाल मंदिर-मस्जिद बंद हैं। यहां लाकडाउन के नियमों का पालन हो रहा है। इसी दौरान कांग्रेसाध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के साथ विडियों कान्फ्रेस आयोजित कर केन्द्र के पास से अधिक आर्थिक सहायता लाकडाउन प्रभावित विभिन्न कमजोर वर्गों को देने की मांग की है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि, 17 मई के बाद क्या लाकडाउन उठा लिया जाएगा? सरकार की व्यूह नीति क्या है? सोनिया गांधी ने इसका जवाब मांगा है। उधर सरकार जवाब देनें के बदले युद्धस्तर पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना अधीन आर्थिक सहायता के अलावा खाद्य आपूर्ति योजना तहत खाद्यान्न करोड़ों लोगों को दिया जा रहा है। सहायता में जनभागीदारी भी संस्थाओं के मार्फत जारी है। किन्तु, यह सब कवायद कब तक? यह प्रश्न है।

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