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कोरोना वायरस में सतत् हो रहा परिवर्तन बहुत घातक है

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कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को भयग्रस्त कर दिया है। कोरोना दानव का अटटस इतना भयावाह है कि जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। विश्व भर के वैज्ञानिकों और रिसर्चर्स कोरोना की वास्तविकता और उसके इलाज की वेक्सीन की शोध में जुटे हुवे हैं। कोरोना वाइरस की उत्पत्ति और उसके प्रकार और उसके असरों का गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। इस दौरान नई-नई चौंकाने वाली जानकारियों का भी पता लग रहा है। बताया जा रहा है कि कोरोना वाइरस का बहुत तेजी से म्यूटेशन हो रहा है। प्राय: प्रत्येक विभिन्न देशों में कोरोना के वाइरस के विभिन्न प्रकार देखने को मिल रहे हैं। म्यूटेशन याने परिवर्तन। कोरोना वाइरस के कई रूप सामने आ रहे हैं। अपने रूप अनुसार वह विभिन्न लोगों पर उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता के आधार पर उन्हें प्रभावित करता है। नेशनल लेबोरेटरी में कोरोना वाइरस के स्ट्रेन की जांच में ज्ञात हुआ है कि कोरोना वाइरस में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहा है। चीन के जेजीयांग युनिवर्सिटी की रिसर्च टीम को ज्ञात हुआ है कि दिसम्बर 19 से अप्रैल 20 के दरम्यान कोरोना वाइरस के 30 रूप बदल गए हैं। वाइरस का घातक प्रहारक रूप यह है कि यह सामान्य वाइरस से लगभग 250 गुना तेजी से बढ़ता है। वैज्ञानिकों के सामने दो बाते आयी है। पहली बात यह कि इस वाइरस के बढऩे की स्पीड क्या है? जिसे मेडिकल लेंग्वेज में वाइरस लोड कितना है? पूछा जाता है। दूसरी बात यह है कि क्या वाइरस जिस सेल में जाता है, उसकी संरचना में भी परिवर्तन लाता है? इसे साइटोपेथिक इफेक्ट इन्वेस्टिेगेशन कहा जाता है। उक्त दो प्रकार की जांचोपरान्त रिसर्च कर रही टीम को यह जानकारी हुई कि जब कोरोना वाइरस एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है, तब उस व्यक्ति की कोशिकाओं को प्रभावित कर उसे खत्म करने तक अलग-अलग तीस प्रकार के आकार धारण करता है। यह एक विशेष प्रकार का वाइरस सामान्य किसी वाइरस से अत्यधिक खतरनाक बन जाता है। हाल में इटली, अमेरिका व स्पेन जैसे देशों में उक्त खतरनाक वाइरस स्ट्रेन फैल चुका है।
कोरोना वाइरस बाबत भारत में भी गहराई से अध्ययन हो रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों का मानना है कि, कोरोना वाइरस में जो परिवर्तन हो रहा है, उससे इसके खतरे में भी इजाफा हो रहा है। देश के राज्यों महाराष्ट्र, तामिलनाडू और गुजरात में जो कोरोना वाइरस मिल रहा है, उसे स्ट्रेन कह सकते हैं। जिसकी घातकी असर ज्यादा है। फलस्वरूप, मृत्युदर भी इस कारण अधिक है। केरल में दिखाई देने वाला वाइरस एस टाइप का स्ट्रेन है, जो कमजोर है। ऐसा वैज्ञानिकों का कहना है। यहां मृत्युदर कम है और सही इलाज उपरान्त मरीज ठीक भी हो जाता है। एक विशेष जानकारी यह कि वाइरस स्वयं लम्बे समय तक खुद को जीवंत रखने के लिए सतत् अपनी जिनेटिक संरचना बदलता रहता है। इस कारण उसे खत्म करना, मारना संभव नहीं है। यह एक सर्वाइकल प्रक्रिया है, जिसमें जीवित रहने के लिए वाइरस अंत तक प्रयत्न करते रहता है।
कोरोना वाइरस में सतत् हो रहे परिवर्तन से वह अधिकाधिक खतरनाक बन जाता है। फिर वह जब मनुष्य के शरीर की कोशिका पर हमला करता है, तब कुछ ही क्षणों में उस वाइरस की हजारों कापियां बन जाती है। याने कि शरीर में कोरोना वाइरस का लोड बहुत तेजी से बढ़ जाता है। जिससे थोड़े ही समय में व्यक्ति बीमार पड़ जाता है। ऐसे समय जरूरी सावधानी व इलाज नहीं मिला तो व्यक्ति मर जाता है।
कोरोना वाइरस के सतत् हो रहे परिवर्तन से वैज्ञानिकों को भय है कि यह गर्मी की सीजन में भी कोरोना वाइरस समाप्त नहीं होगा। जिसका विपरीत परिणाम यह आयेगा कि वर्तमान में तैयार हो रही वैक्सिन भी असर नहीं करेगी। वह असफल हो जाएगी। वैज्ञानिकों की टीम कोरोना वाइरस की जिनेटिक स्क्विेंस पर सतत् काम कर रही है। सफलता कब मिलेगी? इस पर फिलहाल कोई दावा नहीं किया जा सकता है। कोरोना से बचाव करने जो उपाय लाकडाउन में हैं, उस पर चलना बेहतर होगा। सोशल डिस्टेसिंग, अनिवार्यत: मास्क का उपयोग, जरूरी हो तभी घर से बाहर निकले, साबून या सिनेटाइजर से बार-बार हाथ धोंवे और घर का ही बना भोजन ग्रहण करें, इसको ध्यान में रखे।

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