कोरोना महामारी और उसकी फलश्रुति के रूप में सामने आये लाकडाउन जैसे प्रतिकूल हालात में मानसून समयानुसार आने के समाचार से राहत मिली है। साथ ही, मानसून के सामान्य होने की भी जानकारी मिली है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि, आगामी चार माहों के दौरान बारिस 96 से 104 प्रतिशत के मध्य होगी। आज भी देश में अनेक किसानों को देश के विभिन्न हिस्सों में सिंचाई साधनों के अभाव में खेती करनी पड़ती है। ऐसे किसान पूर्णत: प्रकृति-कुदरत की कृपा पर ही निर्भर रहते हैं। सिंचाई के वैकल्पिक साधनों के अभाव में भारतीय किसान आज भी खेतों की प्यास बुझाने के लिए स्वाभाविक रूप से आकाश की ओर तकते रहता है। इस पर से समय पर मानसून आने से किसानों को नि:संदेह राहत होगी। देश के किसानों के लिए अन्य राहत भरी बात यह कि केन्द्र सरकार ने किसानों को दिए जा रहे न्यूनत्तम समर्थन मूल्य (एम एस पी) में लगभग 50 से 83 रूपयों तक वृद्धि करने की घोषणा की है। इस प्रकार, कृषि क्षेत्र के लिए वातावरण चहुुंओर से अनुकूल प्रतीत होता है।
छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की भूपेश सरकार चुनाव में किए गए वायदे के अनुसार धान के 1850 रूपये में वृद्धि कर 2500 रूपए देने प्रयासरत है। किसान न्याय योजना भी इसी परिप्रेक्ष्य में क्रियान्वित है। धान का 25 सौ रूपए न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसानों की कर्ज माफी से किसानों को थोड़ी चैन की नींद नसीब हुई है। छत्तीसगढ़ को पृथक कर दें तो देश के अन्य राज्यों के किसानों को भी एम.एस.पी. बढऩे से राहत होगी।
कोरोना और लाकडाउन ने यूं तो सम्पूर्ण देश और उसके अर्थतंत्र को बहुत पीछे छोड़ दिया है। किन्तु, ग्रामीण भारत की स्थिति बहुत बदहाल है। ग्रामजनों की आय पर लाकडाउन ने बहुत विपरीत असर डाला है। दूसरी मुसीबत यह कि ग्रामीण परिवार का कोई सदस्य मेहनत मजदूरी करके अन्य राज्यों में चार पैसे कमाने गया था, वह परेशान होकर खाली हाथ गांव लौटा है। ऐसी विपरीत स्थिति में मानसून समय पर आता है तो मेहनत मजदूरी करने वालों को गांव में ही काम मिल जाएगा। आशा और आत्मविश्वास के साथ किसान अब अपने खेतों में जा सकेगा। खेती-किसानी मेें अब उसे मजदूरों की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
यद्यपि, कोरोना और लाकडाउन के दोहरी मार से बाहर आने के लिए प्रयासरत किसानों के सिर पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। इससे बचने का कोई मार्ग भी फिलहाल नहीं दिखाई दे रहा है। टिड्डी दलों के हमलों से फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा है। यह आफत उत्तर-पश्चिम से आती हुई छत्तीसगढ़ और दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडू तक पहुंची। राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और साल की शुरूवात में पंजाब भी टिड्डी दलों का शिकार हुआ था।
केन्द्र सरकार ने उक्त राज्यों के आसपास के राज्यों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है। श्रृंखलाबद्ध मुसीबतों के मद्देनजर ही किसानों को राहत देने केन्द्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन का मूल्य (एम एस पी) में वृद्धि की गई है। खरीफ की 14 फसलों की एम एस पी 50 से 83 बढऩे की घोषणा के साथ कपास, मूंग और मूंगफल्ली जैसी फसलों में तो एम.एस.पी. 50 प्रतिशत बढ़ाई गई है। सरकार का यह कदम बता रहा है कि उसे किसानों की चिन्ता है और वह उनके हितों को लेकर सजग है।