कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि कोरोना वाइरस के प्रकोप के कारण असाधारण स्थिति निर्मित उत्पन्न हुई है। ऐसे समय कृषि मंत्री ने यह भी कहा है कि किसानों की आय दोगुनी करने का मिशन मोड़ में लिया जाना चाहिए और खरीफ फसलों का उत्पादन लक्ष्य राज्यों को हासिल करना चाहिए। विडियो कान्फ्रेन्स के जरिए कृषि मंत्री राज्यों के साथ विचार विमर्श करते हुवे फसलों की पैदावार की रणनीति पर विचार विमर्श कर रहे थे। किसानों की समस्याओं का समाधान करने के ध्येय से फसल बीमा योजना और मृदा जांच योजना का भरपूर फायदा उठाना चाहिए। एक जानकारी देते हुवे उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2020-21 के दौरान फसल उत्पादन का लक्ष्य 29 करोड़ 80 लाख टन निर्धारित किया है जो वर्ष 2019-20 में 29 करोड़ 11 लाख टन था। कृषि राज्य मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने कहा है कि कृषि और बागवानी फसलें कई राज्यों की अर्थ व्यवस्था का मुख्य आधार है। पिछले साल खाद्यानों का रिकार्ड उत्पादन हुआ था। जब कि, बागवानी फसलों का इससे भी अधिक उत्पादन हुआ था। कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वर्षा की असमानता के बावजुद फसलों का रिकार्ड उत्पादन बड़ी उपलब्धि है।
यह कृषि उत्पादनों के लक्ष्य वेध का उजला चित्र है, फिर सोच यह कहती है कि देश में किसान वर्ग दु:खी और असन्तुष्ट क्यों है? किसानों के आत्महत्या के मामले क्यों बढ़ रहे है? किसानों को कर्जों के बोझ की चिन्ता क्यों सताती है?
किसानों को सरकार अनेक विविध योजनाओं के अंतर्गत लाभान्वित करती है। किसानों को लाभांश में बोनस भी देती है। जिन किसानों को फसलों में किन्ही कारणवश क्षति पहुंचती है, उनका यदि पूर्व में बीमा योजना तहत पंजीयन होता है, उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। बीमा की प्रीमियम राशि संयुक्त रूप से पंजीकृत किसानों और राज्य सरकार बीमा कम्पनी को भुगतान करती हैं। इस प्ररिप्रेक्ष्य में किसानों को कहां फिर आर्थिक मार से कष्ट पहुंचना है? हाल ही अन्य योजना तहत ओलावृष्टि से हुई फसल क्षति का आंकलन करके किसानों को क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान किया। प्राप्त सूत्रों से राजनांदगांव जिले में 17 हजार 11 किसानों को 8 करोड़ 51 लाख 88 हजार 951 रूपए ओलावृष्टि क्षति के एवज में सहायता राशि प्रदान की गई थी। यह सहायता राशि वर्ष 2017-18 व 2019-20 की प्रदान की गई थी।
किसानों को किसी भी हालात में नुकसान न झेलना पड़े और उन्हें उनके उत्पादन के लागत सहित नफा हो इसलिए सरकार समर्थन मूल्य में उनके धान का एक-एक दाना क्रय करती है। राजनांदगांव जिले में धान का कुल रकबा 322320.807 हेक्टेयर है। जिले में किसानों की संख्या 2 लाख 83 हजार 63 है। केन्द्र सरकार की अनेकानेक किसानों के कल्याण के लिए योजनाएं क्रियान्वित होती हैं। खाद, बीजों सहित कृषि उपकरणों के क्रय में रियायतें दी जानी हैं। प्राय: हर साल जरूरत से ज्यादा खाद्यानों का उत्पादन होता है। सरकार सिंचाई व इससे संबंधित साधनों को किसानों को उपलब्ध कराती है। कुल मिलाकर यह कि किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने सरकार तमाम प्रकार के संसाधनों का इस्तेमाल करती है, इसके बावजुद, परिणाम ठीक इसके विपरीत आता है। किसानों को फसल उत्पादन में धन की कमी न हो, इसके लिए कम से कम ब्याज पर सहकारी बैंकों से किसानों को ऋण उपलब्ध कराती है। किन्तु, चकित होना पड़ता है कि किसान कर्जों से लदे रहते हैं, गरीबी में जीवनयापन करते हैं, कई आत्महत्या करते हैं।
विडम्बना यह कि सरकार कृषि मद से लाखों करोड़ो आवंटित करती हैं। किन्तु, उस विशाल राशि का सही उपयोग, विनियोग जमीनी धरातल पर हो रहा है या नहीं? सरकार का धन व उसकी योजनाओं का लाभ हितग्राही किसानों तक पहुंच रहा है या नहीं? इसकी मानिटरिंग नहीं करती। अगर, केन्द्र स्तरीय जांच पड़ताल जमीनी स्तर पर होती है तो नि:संदेह चौकाने वाले बड़े भ्रष्ट काण्ड उजागर होंगे।